बरस रहा है रिम
झिम सावन , फिर तुम मिलने आजाओ
ठंडी ठंडी रातों में ,तपिश प्यार की दे जाओ
प्यासे हैं हम भरा है गागर ,तुम गगरी छलका जाओ
अब तन्हा नहीं कटती रातें, तुम तन्हाई मिटा जाओ
ठंडी ठंडी रातों में ,तपिश प्यार की दे जाओ
प्यासे हैं हम भरा है गागर ,तुम गगरी छलका जाओ
अब तन्हा नहीं कटती रातें, तुम तन्हाई मिटा जाओ
हाथों से स्पर्श
करो और ,मन में दीप जला जाओ
आँखों से तुम गीत पढ़ो और ,मुझको मीत बना जाओ
होठों से कुछ और करेंगे ,आँखों से तुम बात कहो
मैं समझूं आँखों की भाषा ,तुम आँखों से काव्य गढो
मैं तुमको बाहों में भर लूं ,तुम मेरा प्रतिरोध करो
खेलूँ तेरी जुल्फों से तो ,तुम मुझसे गतिरोध करो
आत्मसमर्पण तुम करदो और ,मैं तुमको ले सेज चढूं
मूक सहमति तेरी पाकर ,मैं फिर से नई मूर्ति गढूं
आँखों से तुम गीत पढ़ो और ,मुझको मीत बना जाओ
होठों से कुछ और करेंगे ,आँखों से तुम बात कहो
मैं समझूं आँखों की भाषा ,तुम आँखों से काव्य गढो
मैं तुमको बाहों में भर लूं ,तुम मेरा प्रतिरोध करो
खेलूँ तेरी जुल्फों से तो ,तुम मुझसे गतिरोध करो
आत्मसमर्पण तुम करदो और ,मैं तुमको ले सेज चढूं
मूक सहमति तेरी पाकर ,मैं फिर से नई मूर्ति गढूं
अच्छी कविता है! बधाई! नियमित लिखते रहो। वर्ड वेरीफ़िकेशन हटायें।
ReplyDeleteधन्यवाद मौसा जी ....आपके परामर्शानुसार शब्द सत्यापन हटा दिया है ....
ReplyDeleteBhaai satyavrat yeh bhaari bhaar shabdavali kaise viksit ki ?
ReplyDeletekavita behad acchi hai and thoughts are awesome!
बॉस ये शब्दावली कवितायेँ सुनकर और पढ़ कर सीखी ....
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