Thursday, April 26, 2012

सचिन "क्रिकेट का भगवान ,कांग्रेस का तारणहार"

                      भारत सरकार का कोई भी काम आज कल सीधा नज़र नहीं आता कुछ ऐसा ही आज भी हुआ सरकार ने अचानक ही सचिन तेंदुलकर का नाम राज्यसभा के लिए गृहमंत्रालय को कथित तौर पर  भेज दिया |भई जब ये विश्वास हो जाये कि ईश्वर भी डूबती नैया पार नहीं कर सकता तो हर प्रयोग कर लेना ही उचित है |हम लोग सुनते रहते हैं कि क्रिकेट अगर धर्म है तो सचिन क्रिकेट के भगवान हैं और हैं भी |परन्तु मुझको लगता है कि सचिन कांग्रेस पार्टी के तारण  हार हैं क्यूंकि जब प्रणव मुखर्जी 16 मार्च 2012 को  उथल पुथल भरा आम  बजट पेश कर रहे थे और सभी न्यूज़ चैनल उस पर बहस कर रहे थे तभी सचिन ने शतकों का शतक बना दिया और बहस का केंद्र बजट कि जगह सचिन हो गये,शायद भारत सरकार और प्रणव दा ने सचिन को  धन्यवाद भी कहा होगा संकट से बचाने के लिए  |आज फिर से जब सरकार बोफोर्स घोटाले में हुए खुलासे से बेचैन थी तो अचानक सचिन का नाम राज्यसभा के लिए भेज कर सरकार ने न्यूज़ चैनल पर छाये बोफोर्स के मुद्दे को कुछ हद तक फीका किया है | 

                  सचिन महान है और इसके लिए अब किसी के प्रमाणपत्र की आवश्यकता भी नहीं है ,किन्तु अभी वो क्रिकेट में सक्रिय हैं |ऐसे वक्त में क्या उनका नामांकन राज्य सभा में सांसद के लिए होना उचित है |क्या वो अपने खेल और संसद के प्रति अपने कर्तव्यों का सही निर्वहन कर पाएंगे ?उनके स्थान पर कपिल देव,विश्वनाथन आनंद ,सुनील गावस्कर, धनराज पिल्ले,अभिनव बिंद्रा आदि किसी को ये सुअवसर नहीं मिलना चाहिए ??क्या सरकार सिर्फ वहीँ निर्णय करती है जिसमे कांग्रेस का फायदा हो ??क्या कांग्रेस सचिन की लोकप्रियता का फायदा उठाना चाहती है ?वैसे तो सचिन भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन कांग्रेस  मराठी मानुष के नाम पर महाराष्ट्रा में इसका लाभ उठाना चाहेगी  |

               सचिन को अगर ये अवसर मिलता है तो ये सौभाग्य ही होगा हमारे लिए और भारतीय संसद के लिए ,परन्तु ये उचित समय नहीं है |अभी सचिन में बहुत ही जादा क्रिकेट बाकी है और भारतीय क्रिकेट को उनकी आवश्यकता भी है |सचिन जिस शिखर पर है वहाँ उनको ये अवसर आगे भी मिल सकता है |सचिन की लोकप्रियता का ही असर है की किसी भी राजनीतिक दल ने इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया और नैतिक तौर पर करना भी नहीं चाहिय|बचपन में पढ़ा था कि राष्ट्रपति कुछ सांसदों को मनोनीत करती है परन्तु क्या ये उनका कर्तव्य नहीं है कि ऐसे व्यक्तियों को मनोनीत करें जो इसका उपयोग देश की चिंताओं का निवारण करने में कर सकें|हम पहले भी देख चुके हैं की स्वर कोकिला भारतरत्न लता मंगेशकर और भी अन्य लोगों को ये अवसर दिया गया परन्तु वो कुछ क्रन्तिकारी परिवर्तन नहीं कर पाए, ऐसे में जब की सचिन क्रिकेट में सक्रिय हैं तो क्या वो इस अवसर का सदुपयोग कर पाएंगे ??
               
                हमारी संसद को बहुत से योग्य लोगों की आवश्यकता है, सचिन हर मापदंड पर खरे उतरते हैं किन्तु जब तक वो क्रिकेट में सक्रिय हैं वो  उचित न्याय नहीं कर पाएंगे राज्यसभा सांसद की जिम्मेदारी के साथ |संविधान की ये परिपाटी सिर्फ स्थानापूर्ति बनकर रह जायेगी |

             सरकार सोच रही है सचिन के सहारे अपनी नैया पार लगा लेगी परन्तु वो भूल रही है की सचिन क्रिकेट के भगवान है ना की  " सनातन भगवान "|

2 comments:

  1. सही कहा है। राज्यसभा के लिये सबसे उपयुक्त उम्मीदवार तो सुनील गावस्कर लगते हैं। उनको अपनी बात कहना आता है। सचिनजी तो बेचारे हर बात का जबाब बल्ले से देते पायें जायेंगे। :)

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    1. सही कह रहे हैं ....और आपका लेख सचिन की जवाब देने की इस खूबी को बहुत ही अच्छे से समझाता है

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